Saturday, April 19, 2008

क्रिकेट की मर्यादा से खिलवार


आखिरकार जिस क्रिकेट के नए बाजारीकरण स्वरुप का इंतज़ार लोगों को था, १८ अप्रैल से शुरू हो गया .क्रिकेट का जिसतरह से मार्केटिंग किया जा रहा है,ऐसे मी वह दिन दूर नही जब इस महान खेल की प्रतिष्ठा ,लोकप्रियेता धूमिल हो जायेगी .आज जिस प्रकार क्रिकेट के नाम पर मीडिया ,फिल्मी दुनिया और राजनितिक गठबंधन बना है उस से तो यही लगता है की सभी लोग इसका लाभ उठाना चाहते है. सबसे बरी बात तो ये है की ,जिसदेश के किसान खुदकुशी कर रहे है ,वही हमारे कृसी मंत्री शरद पवार ipl के उद्घाटन का जश्न मना रहे है. और सबसे हास्यास्पद बात ये है ,की क्रिकेट खेलने वाले देशो मे सभी के क्रिकेट बोर्ड सरकार के नियंत्रण मे है ,लेकिन लोकतांत्रिक कहलाने वाले हमारे देश का क्रिकेट बोर्ड पुरी तरह से एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी मे तब्दील है .इस बोर्ड के क्या संविधान है इसका खुलासा कभी नही हुआ .इस पर माननीय सुप्रीम कोर्ट भी टिपण्णी कर चुका है .आज कोई बता सकता है ,की बीसीसीआई की अभी तक वेबसाइट भी नही है.क्या कसूर है उन खिलारिओं का जो बिहार जैसे राज्यों से कभी चुने नही जाते.झारखण्ड जो की बिहार से अलग हुआ राज्य है,उससे धोनी कैसे राष्ट्रिय टीम मे पहुँच जाते है .बीसीसीआई की दोगली नीति के कारण कितने प्रतिभा शाली खिलारिओं का कैरिएर बरबाद हो गया अब तो आने वाले दिनों मे क्रिकेट का भगवान ही मालिक है.इस ipl का भूत इस महान खेल को बर्बादी के अंधेरे मे ले जायगा .फिल्मी हस्तियों का काम सिर्फ़ पैसा कमाना है,नकि इस खेल को बढावा देना .वो दिन दूर नही की इस ipl के भूत के कारण दुनिया भर मे क्रिकेट की लोकप्रियता मे कमी होगी .इस ipl का मकसद सिर्फ़ पैसा और पैसा है.शुरुआत होचुकी है ,बोली भी लग चुकी है .खिलाड़ी रोबोट ली तरह ख़रीदे भी जा चुके है .upa गवर्मेंट के गठबंधन की तरह .राजनितिक, फिल्मी, मीडिया , और कार्पोरेट जगत की माफियागिरी।

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